RAJESH _ REPORTER
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आये दिन होने वाली नक्सली बंद और निरीह मनुष्यों का कत्ले आम नक्सलियो की कुंठित मानसिकता को उजागर करता हे .जिस सोच ने नक्सल आन्दोलन को जन्म
दिया था वो विचारधारा कब की समाप्त हो चुकी हे और अब ये नक्सली सिर्फ हिंशा फेलाने में विस्वाश रखते हे.नक्सल बारी से आरंभ आन्दोलन देश के कए राज्य तक फैल चूका हे पर इसकी स्वीकारता कम हुए हे यह इस बात से उजागर होती ही की नक्सल आन्दोलन के जनक चारू मजुमदार ने मरते मरते इनकी आलोचना कर दी और बाद में वो इतने दुखी हुए की अपने कमरे में ही फाशी लगा कर मेरे पाए गए .तो क्या एन नाक्सालियो को अपना आन्दोलन बंद कर देना चाहिए मुझे तो लगता हे इन्हे बन्दुक छोड़ कर मुख्या धरा में अभी लौट आना चाहिए.कही देर ना हो जाये?
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