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हमाम में सब नंगे है ?

RAJESH _ REPORTER
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जी हा मीडिया बिकाऊ है बस उसका खरीददार होना चाहिए .आप में उसे खरीदने की ताकत होनी चाहिए और आप जिस कीमत में भी उसे खरीदना चाहते है आप खरीद सकते है हो सकता है की आप यह लेख पढ़ कर सोच में पड़ जाये की लोक तंत्र का चौथा स्तम्भ भी क्या बिक सकता है तो आप यकीं मने जी हां बिक सकता है बस बोली लगाने वाला चाहिए क्या आप मीडिया के खरीददार है ?यदि हा तो हमसे संपर्क करे क्योकि आप जिस भी चैनल के पत्रकार को खरीदना चाहेगे आप अपनी मुह बोली रकम पर खरीद सकते है यही नहीं यदि आप किसी अख़बार को खरीदना चाहते है तो वो भी अब असंभव नहीं है बस आप बोली तो लगाये और देखे की कैसे लोग बिकने के लिए आप के सामने खुद पहुचते है ..आज की उपभोगता बादी संस्कृति में हर कोई बिकने को तैयार है यदि राजनेता बिक रहे है तो फिर पत्रकार क्यों ना बीके यही आलम है इस पुरे हिंदुस्तान का में एक बहुत ही छोटे स्थान का रहने वाला हु पर यह जिला है बहुत महत्वपूर्ण यहाँ लगभग सभी अखबारों और प्रमुख समाचार चेंनेल के संवाददाता मौजूद है कहने को तो लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ माने जाते है लेकिन हर कोई यहाँ एक मोटी रकम पर बिकने को तैयार रहता है .हा यह जरुर है की यहाँ के पत्रकार कभी कभी अपनी जवाबदेही को भी समझते है और सामझुता नहीं करते लेकिन अक्सर जो बात देखि गई वह बिकाऊ है लोग अपने लाभ के लिए देश और समाज सब से समझौता करते नजर आते है और यही बात मुझे नागवार गुजरती है क्योकि में भी सब के साथ रहता हु इस लिए सब बातो की जानकारी तक रहती है लेकिन चुप रहना पड़ता है क्योकि सिर्फ मीडिया ही बिकाऊ नहीं है यहाँ तो हमाम में सब नंगे है आप कर भी क्या सकते है यदि आप नहीं बिकते तो कोई और बिकेगा यह सोच कर सब बिक रहे है और एक दुसे पर दोषारोपण कर रहे है पर क्या यह सही है यह बात मुझे हमेशा खलती है की मीडिया का काम सच को दखाना और सच को जिन्दा रखना है पर क्या ये मीडिया वाले सच दिखा रहे है ऐसा नहीं है क्योकि दुनिया सच देखना नहीं चाहती और मीडिया समाज के सच को दिखाना नहीं चाहती क्योकि जिस दिन मीडिया सच को दिखाएगी उस दिन आप जागरूक हो जायेगे और जिस दिन आप जागरूक होंगे उस दिन के बाद आप समझौता नहीं करेगे .में यह नहीं कहता की तमाम मीडिया वाले बिकाऊ है पर लगभग मीडिया वाले तो बिकाऊ जरुर है मेरा यह लिखना प्रसिद्धि पाना नहीं है पर आप को सच से अवगत करवाना है .अगर आप देश दुनिया की तमाम खबरों पर नजर डाले तो खुद आप को लगेगा की मेरा कथन सही है आज देश में आये दिन हजारो ऐसी घटनाये हो रही है जिसकी जानकारी कही ना कही से आप को जरुर मिलती होंगी किन्तु मीडिया उन खबरों को तरजीह नहीं देता क्योकि उन खबरों से चैनल की टी आर पी,नहीं बढ़ती मीडिया सिर्फ वैसे खबरों को ही आप तक परोसता है जिससे की उसका लाभ हो तो क्या मीडिया बिकाऊ नहीं है आज देश की तमाम खबरिया चैनल सिर्फ अपने लाभ के लिए बाजार में मौजूद है ना की आप के लाभ के लिए हर महीने बाजार में एक नया समाचार चैनल आ रहा है कहने को तो कई बड़े बड़े घोस्नाये इनके द्वारा की जाती है पर जिस पार्टी की केंद्र में सरकार होती है ये सिर्फ उनका गुणगान ही करती है और उनसे जुडी खबरों को ही प्राथमिकता दी जाती है .हिंदुस्तान कली १०० करोड़ से अधिक की आबादी को आज मीडिया पर सबसे अधिक भरोषा है और पुलिस से [पहले लोग पत्रकार को घटना स्थल पर बुलाते है लेकिन बाजार वाद ने मीडिया को भी आज उस कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है जहा कल तक तमाम लोग खरे थे और मीडिया उनसे दूर थी इस लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ को मजबूत बना कर रखना भी हम भारत वासिओ कर्त्तव्य है यह में सोचता हु आप अपनी राय जरुर दे नहीं तो ?

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