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आखिर सत्ता की इतनी भूख क्यों ?

RAJESH _ REPORTER
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बिहार में चुनाव हो रहे है और अब परिणाम भी आने वाले है इन चुनावो में सभी दलों के नेताओ ने जी जान से जीतोड़ मेहनत की सत्ता प्राप्ति के लिए सब आपने अपने राग अलाप रहे है की कैसे उन्हें सत्ता का सुख मिले रात दिन एक कर दिया इन नेताओ ने चुनावी सभा करने में सिर्फ सत्ता की कुर्सी तक पहुचने के लिए आखिर सत्ता की इतनी भूख क्यों है इन नेताओ में यदि आप ने विकाश कार्य किया तो जनता भी आज जागरूक है आप को ही सत्ता की चाभी जनता सौपेगी लेकिन इन नेताओ को ना दिन चैन ना रात में चैन सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए एक दुसरे पर दोषारोपण नितीश कुमार जिन्होंने ५ साल तक सत्ता संभाली और अपने आप को सुशाशन बाबु तक खुद ही कह डाला इन्होने अपने किये कार्यो का जम कर प्रचार किया चाहे वो विज्ञापन के माध्यम से हो या फिर चुनावी सभा के माध्यम से बेचारे नितीश जी का गला सुख गया भासन देते देते की हमारी सरकार ने यह किया हमारी सरकार ने वह किया यही नहीं नेतागिरी से कविता पाठ तक करते नजर आये नितीश कुमार सिर्फ और सिर्फ सता की कुर्शी तक पहुचने के लिए यदि आप की सरकार ने काम किया तो फिर इतना डर किस बात का नितीश जी कही ऐसा तो नहीं की आप भी डर गए की जनता अब विज्ञापन से समझने वाली नहीं जनता जागरूक है लोक तंत्र आजाद है वही हाल काग्रेस और राजद सरीखे पार्टियों का भी है सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत सत्ता प्राप्ति में लगा रखी है राहुल से लेकर सोनिया मनमोहन तक को चुनावी मैदान में उतरना पड़ा यही नहीं राजनेताओ ने अपने पुत्रो को भी मैदान में उतार दिया वोटर को लुबहाने का ऐसा कोई तरीका नहीं जिसे इन नेताओ ने इन चुनावो में ना अपनाया हो चाहे हीरो हेरोइन दिखा कर वोट मांगे हो या फिर धन बल का प्रयोग कर भले ही चुनाव आयोग अपनी पैनी दृष्टी रखे हो पर नेताओ ने उसका भी काट पहले से ही खोज रखा था और जम कर धनबल का प्रयोग किया गया चुनाव में यहाँ जो बात गौर करने वाली है सभी नेताओ ने जो भासन दिया उसका स्पस्ट मतलब है जनता की सेवा हमसे अच्छा कोई नहीं कर सकता इसलिए हमारी पार्टी को वोट दे आखिर जनता कैसे विस्वाश करे की नेता जी जो वोट मांग रहे है उनमे सेवा करने की इक्च्छा है इसलिए इन्हे वोट दिया जाये क्योकि सब ने एक बेहतर सरकार देने का वादा किया और बेहतर सरकार का मतलब जनता को भय, भूख और भ्रस्टाचार से मुक्त रखना ही है और कुछ नहीं यदि इन नेताओ में सिर्फ जनता की सेवा की ही भावना है इनका कोई निजी स्वार्थ नहीं तो फिर इतनी माथापच्ची क्यों सरकार बनाने और मुख्यमंत्री की कुर्शी प्राप्त करने की जनता की सेवा तो ये सरकार में ना रहकर भी कर सकते है फिर कुर्शी की जरुरत क्यों क्या गाँधी और जयप्रकाश ने सत्ता सुख के लिए कभी अपनी लड़ाई लड़ी आखिर उन्होंने भी तो देश की जनता का सेवा का प्रण लिया था या फिर सुभाष चन्द्र बोस,भगत सिंह बिस्मिल ,सरदार पटेल जैसे हमारे आदर्शो ने कभी सत्ता की कुर्शी के लिए इतना जदोजहद किया नहीं किया यदि इन नेताओ में जनता का भला करने की चाहत होगी तो बिना कुर्शी के ही कर सकते है तब फिर यह लड़ाई क्यों है सत्ता के भूख के लिए जरा आप भी सोचे की क्या ये हमारे सच्चे नुमएंदे है या अपने लाभ के लिए अपना गला फाड़ रहे है ?

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