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कटती गाये -कराहती आत्मा .?

RAJESH _ REPORTER
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गाये जिनकी हिन्दू पूजा करते है और परम्परा के मुताबिक गौ दान से सनातन धर्मावलम्बी मोक्ष की प्राप्ति करते है वही माँ की दूध के बाद माता अपने पुत्र को गाय का दूध पिला कर बड़ा करती है क्योकि माँ के दूध के बाद गाय का दूध ही बच्चो के लिए सर्वोतम माना गया है लेकिन आज उस गाय के हजारो दुश्मन हो गये है और उनकी आत्मा कराह रही है की यह कैसा कलयुग सनातन परम्परा से चली आ रही पूजा की प्रविर्ती समाप्त हो चुकी है और पूजा के स्थान पर तनिक लाभ के लिए लोग उस गाय को कटवा दे रहे है जिस गाय का दूध पीकर उनका खुद का बेटा बड़ा हुआ है आज उसे ही कटवा कर आखिर क्या दिखाना चाहते है,कहावत है की यदि सर्प को भी इन्सान दूध पिलाता है तो वह भी बफदारी निभाती है वही हिन्दू परम्परा और वेद के अनुशार जो जैसी करनी करता है उसे वैसा भोगना पड़ता है तो क्या इन गायो को भी इंसाफ मिलेगा . या फिर इनकी आत्मा ऐसे ही कराहती रहेगी
कहने को बिहार में ही नहीं लगभग पुरे देश में पशु क्रूरता अधिनियम सरकारों द्वारा लागु की गई है लेकिन इसके बाद भी हजारो नहीं लाखो की संख्या में प्रतिदिन पशुओ को काटा जा रहा है और सरकार ही नहीं आम आदमी भी चुप बैठ देख रहा है .सरकार बनती है आम आदमी की सुबिधाओ का ध्यान रखने के लिए कहते है धर्म के बिना राजनीती राजनीती नहीं होती लेकिन सरकारे अपने आप को धर्म निरपेक्ष साबित करने और तुस्टीकरण निति की वजह से कानून तो बना देती है लेकिन उसका पालन कितना हो रहा है उससे देखना अपना फर्ज नहीं समझती .पूर्वोतर भारत का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला जिला किशनगंज जहा से बंगलादेश मात्र २२ किलोमीटर की दुरी पर और लगभग उतनी ही दुरी पर नेपाल है के रास्ते लाखो की संख्या में गाये ट्रको पर लाद कर बंगलादेश भेजा जा रहा है यही नहीं नेपाल के रास्ते भी मवेशियो को बंगलादेश भेजा जाता है और इसी के बल पर बंगलादेश आज विश्व का सबसे बड़ा गो मांस निर्यातक देश बना हुआ है वही तमाम प्रशाशनिक पदाधिकारियो की निगरानी के साथ साथ खुफिया विभाग भी इन रास्तो पर अपनी पैनी दृष्टी रखती है क्योकि पुरोतर को स्थल मार्ग से जोड़ने वाला यही एक मात्र रास्ता है लेकिन उसके बाद भी इतने बड़े पैमाने पर पशुओ की तस्करी का होना इन पर सवालिया निशान खड़े करता है और तो और निकटवर्ती पश्चिम बंगाल के पंजिपारा और दलकोला में इन गायो को एकत्रित किया जाता है और पास ही सीमा सुरक्षा बल का कैंप है पर करवाई सुन्य. यहाँ में एक बात लिख देना चाहता हु की ये गाये सिर्फ हिन्दुओ के बच्चे को दूध नहीं पिलाती इन्हों ना ही किसी का धर्म देखा जो भी इनका पालक है उससे यह अपने दूध से उपकृत करती है वही चिकत्सको का कहना है की जो भी गो मांस का सेवन करता है उससे गंभीर बिमारिओ का शिकार होना पड़ता है तो क्या हिन्दू और मुस्लिम दोनों भाई मिल कर इस पाप का विरोध नहीं कर सकते ?

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