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विनायक सेन के जमानत के बाद लाल मिडिया ने पूरी तरह चिल पो की और और सिर्फ जमानत मिलने पर ही इतना हल्ला किया जैसे विनायक को दोषमुक्त कर दिया हो न्यालय ने |लेकिन झारखण्ड के लोहादाग्गा जिले में नाक्सालियो द्वारा किये गए कायरता पूर्ण हमले में जहा आज ११ जवान शहीद हो गए वही लगभग ६० जवान बुरी तरह घायल होकर जीवन और मौत से जूझ रहे है तब ना ही मीडिया द्वारा उतना हंगामा किया जा रहा है और ना ही वो मानवाधिकारवादी जिन्हें एक नक्सली के मरने के बाद हंगामा करते देखा जा सकता है कहा है आज अरुंधती राय,स्वामी अग्निवेश ,मेघा पाटेकर जैसे समाजसेवी क्यों नहीं आगे आकर नक्सलियो के इस करतूत का विरोध करती है क्योकि इनके अन्दर का वह इन्सान पूरी तरह मर चूका है जो की इन्हें रास्ट्र भक्ति सिखाता माओ और लेलिन की ये संताने अपने आप को शोषितों वंचितों के अधिकारों की लड़ाई बताते नहीं थकते नक्सलियो को लेकिन देश का एक जवान जब वीरगति को प्राप्त होता है सिर्फ इस लिए की उसे भारत की एकता और अखंडता को बरक़रार रखना है क्योकि जब उसने वर्दी पहनी थी तो उसने यह कसम खाई थी और वह जवान हस्ते हस्ते अपने कर्तव्य का पालन करते हुए चिरनिंद्रा को प्राप्त हो जाता है लेकिन तब ना तो कोई मानवाधिकार वादी सामने आता है और ना ही मिडिया और जो सामने आते है उन्हें भी ये लोग सामन्तवादी कह कर अपमानित करने का काम करते है आखिर क्या वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिको का मानवाधिकार नहीं होता उनके अपने नहीं होते धिक्कार हा ऐसे लोगो पर और ऐसे मिडिया कर्मिओ पर जिन्हें देश की सुरक्षा ,एकता और अखंडता पर विस्वाश नहीं है .
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