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माँ आज हमारे बीच नहीं है तब जा कर पता चला की माँ आखिर क्या होती है हलाकि बचपन से ही माँ कभी गलती करने पर गुस्साती तो कभी मार भी खानी पड़ती थी लेकिन उनका मेरे प्रति जो स्नेह था वो कभी कम नहीं हुआ क्यों की थी तो वो एक माँ ही जो अपने बच्चो की गलतियो को सुधारने का हमेशा प्रयत्न करती और अच्छा राह दिखने की कोशिश करती है समय बीतता गया और धीरे धीरे मै भी अब बड़ा हो गया था लेकिन माँ ने कभी मुझे बड़ा नहीं समझा उनके लिए तो अभी भी मै एक अबोध बालक था जिसे वो हमेशा अपनी नजरो के सामने ही देखना चाहती थी कभी अपने से दूर नहीं देख पाती थी मेरी माँ मुझे काम से लौटने में यदि देर हुई तो दर्जनों सवाल एक साथ ही माँ कर देती क्यों विलम्ब हुआ ,अभी तक कहा थे ,इतनी देर तक भी कोई काम करता है क्या ,तुम्हे भूख प्याश भी लगती है या नहीं ऐसे अनगिनत सवाल होते थे माँ के आज भी वो दिन याद आता है अभी पिछले साल की तो घटना है जब मै और माँ हरिद्वार गए वहा से लौटते समय मेरी तबियत ख़राब हो गई माँ ने ऐसे आंचल में छुपा लिया जैसे में कोई ६ महीने का बच्चा हु पुरे रस्ते बार बार कुछ खा लो की रट लगाये रही माँ को भी चैन नहीं था लेकिन कुछ ही महीने बाद माँ मेरी गोद में थी और देखते ही देखते प्राण पखेरू उड़ गए रह गई तो सिर्फ माँ की यादे आज जितना अकेला हु सायद उतना कभी नहीं था .बस यही याद आता है की माँ तुम कहा हो .माँ तुम्हे शत शत नमन …………..
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