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पहले तो में साधुवाद देना चाहता हु जागरण को की उन्होंने इस मुद्दे को उठाने की हिम्मत दिखाई .जहा तक
मुश्लिम वर्ग को आरक्षण देने का सवाल है तो किसी वर्ग विशेष को लाभ पहुचने के लिए किया गया कोई भी कार्य भारत के संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ है .हमारा संविधान किसी वर्ग विशेष को लाभ पहुचने वाले किसी काम की इजाजत नहीं देता लेकिन आज जिस तरह से राजनितिक पार्टिया वोट बैंक की राजनीती के तहत ऐसा घिनौना कार्य कर रही है जिससे लोकतंत्र एक मजाक बनता जा रहा है .भारतीय संविधान में वर्णित समता के अधिकार में साफ तौर पर यह लिखा गया है की धर्म ,मूलवंश के आधार पर किसी से विभेद नहीं किया जा सकता साथ ही लोक नियोजन में भी यह लागु किया गया है भले ही अनुसूचित जाति और जनजातियो को आज आरक्षण दी गई हो लेकिन यह भी एक प्रकार से भारतीयों की प्रतिभा के साथ खिलवाड़ प्रतीत होता है आज देश की ८० प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से निचे जीवन यापन करती है जिनमे किसी एक जाति के नहीं है सभी जातियो और सभी धर्मो के लोग गरीबी रेखा से निचे जीवन जीने को मजबूर है तो आखिर किसी एक वर्ग विशेष को लाभ क्यों .आज मुस्लिमो के लिए देश में कई योजनाये चलाई जा रही है और इसका लाभ सीधे तौर पर इस समुदाय को मिल रहा है लेकिन आज जो आगडी जाति के हिन्दू और मुस्लिमो है को भूखे पेट सोने पर मजबूर किया जा रहा है .देश में मुश्लिमो को हज पर सब्सिडी दी जा रही है तो कही हाई स्कूल पास करने पर वजीफा दिया जा रहा है आखिर कब तक ऐसा चलेगा .हा गरीब मुसलमानों को यदि कुछ सुविधा दी जाति है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन पुरे मुस्लिम समुदाय को यदि सिर्फ यह कह कर विशेष सुविधा अथवा आरक्षण दिया जाता है तो भारत के एक और बटवारे को रोका नहीं जा सकता एक तो गाँधी के कारन हुआ और दूसरा आज की सेकुलर राजनीती के कारन होगा और इसका भी खामियाजा हमें सैकड़ो वर्षो तक भुगतना पड़ेगा जैसा की पाकिस्तान बटवारे के बाद भारतीयों को भुगतना पड़ रहा है .साथ ही जहा तक सिक्षा और नौकरी की परिपाटी में आरक्षण को बढ़ावा देने की बात है तो आज अनुसूचित जाती और जनजाति को देश में आरक्षण दिया गया है लेकिन उसके बाद के हालत हमारे सामने दिख रहे है की किस तरह से आरक्षण के नाम पर पूरा देश अगड़ो और पिछडो में बट चूका है लेकिन जिसका भला होना चाहिए था उसका तो नहीं हुआ जो पूंजीपति थे वो और पूंजीपति हो गए लेकिन गरीब बेचारा गरीब ही रह गया वही कई स्थानों पर तो अब सिर्फ द्वेष निकला जाने लगा आरक्षण मिलने के बाद रही बात क्या भविष्य में आरक्षण कायम रहना चाहिए तो मेरे विचार है की यदि आरक्षण दिया जाये तो सिर्फ वैसे लोग जिन्हें उसकी आवश्यकता है क्योकि हमारा संविधान उसे जिन्दा रहने का हक़ देता है वो हक़ उसे मिलना चाहिए जो की दो जून की रोटी कपडा और मकान हो सकती है .
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