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जन लोकपाल बिल लागु करवाने के लिए अन्ना का सकल्प पूरा हो और देश को भ्रस्टाचार से मुक्ति मिले आज पूरा देश यही चाहता है लेकिन कांग्रेस सरकार द्वारा लगाई जा रही अरचन से यही प्रतीत होता है की मनमोहन भ्रस्टाचार पर चर्चा तो करते है लेकिन उन्हें भ्रस्टाचार दूर हो इसकी कोई चिंता नहीं है .पूरा देश भ्रस्टाचार से लड़ने का मन बना चुकी है और इस लड़ाई में क्या बच्चे क्या नौजवान सब कूद चुके है.आखिर एक लोकतान्त्रिक देश में सबो को यह हक़ है की वो अपनी आवाज बुलंद करे लेकिन सरकार द्वारा जिस तरह से अन्ना और उनके साथियो पर अनर्गल आरोप लगाकर इस आन्दोलन को कुचलने का कुत्षित प्रयाश किया जा रहा है यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है कांग्रेस के नेता जिस तानाशाही का परिचय दे रहे है ऐसा लगता है की प्रधान मंत्री की कुर्शी उनकी बपौती हो गई है .मनीष तिवारी,दिग्गी ,रशीद अल्वी ,सिब्बल से लेकर जितने भी नेता है उनका काम सिर्फ अब सीबीआई वाला रह गया है कल तक अन्ना साफ सुथरी छबी के थे और आज वो भी भ्रस्टाचारी बन गए है तो पहले क्यों नहीं इन आरोपों को जनता के सामने लाया गया यही नहीं इनकी मानशिकता भी गन्दी हो चुकी है कल तक आप कहते थे अब अन्ना तुम हो गए ऐसा प्रतीत होता है की कांग्रेस पार्टी और उनके नेता पूरी तरह से मानसिक दिवालिया पन के शिकार हो चुके है तभी तो लाल किले से प्रधान मंत्री सिर्फ यही रट्टा मरते रहे की अनशन नहीं करना चाहिए आखिर आप को प्रधान मंत्री जी लोक पाल के दायरे में आने से क्यों डर लगता है यदि प्रधान मंत्री इमानदार है तो स्वयम पहल करनी चाहिए और खुद को भी लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए अगर चोर नहीं तो डर किस बात का वही पूरी जिंदगी तो मनमोहन जी आप प्रधान मंत्री रहेंगे नहीं वही सब से बड़ी बात कांग्रेसियो की मम्मी बेचारी बीमार होकर इलाज करवा रही है जैसे पूरा रोम जल रहा था और नीरो बासुरी बजा रहे थे इसी मुहावरे को चरितार्थ करती है सोनिया की बीमारी .सोनिया और राहुल कही नजर नहीं आ रहे है छुटभैये नेता अनर्गल बयान बजी कर रहे है पुलिस सत्ता की गुलाम हो गई है .संविधान से खिलवाड़ हो रहा है जनता भ्रस्टाचार से त्राहिमाम कर रही है ,और नेता मजे लुट रहे है यही है आजादी का मतलब .
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