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देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तमाम सियाशी पार्टियो के बीच उठा पटक जारी है लेकिन इन उठा पटको के बीच भारत का आम नागरिक क्या चाहता है इससे किसी भी सियासी पार्टी को मतलब नहीं दीखता अभी तक जो पाच नाम सामने आये है उनपर आम जनता की क्या राय है यह जानने की कोसिस किसी ने भी नहीं की १२० करोड़ वाले इस लोक तांत्रिक देश में देश के सर्वोच्य पद पर बैठने वाला व्यक्ति भले ही प्रत्यक्ष रूप से राजनितिक ताकत ना रखता हो लेकिन परोक्ष रूप में इस पद की अपनी एक गरिमा है और इस गरिमा को कलाम साहब जैसे व्यक्ति ने अपने पूर्व के कार्यकाल में बरक़रार रखा था और यह साबित भी किया था की सर्वोच्य पद पर बैठने वाला व्यक्ति किसी एक दल की जागीर नहीं है पिछले कार्यकाल के उनके अनुभवों से भारत की वर्तमान स्तिथि (भय ,भूख और भ्रस्ताचार )से देश की जनता को लाभ मिलने की उम्मीद जगी है वही अगर वर्तमान वित् मंत्री एव दौड़ में सामिल (प्रणव दादा ) के कार्यो को देखे तो आज डॉलर के मुकाबले रूपये की हालत क्या है यह किसी से छुपी नहीं है सारा देश आज हैरान है की कहा कलाम साहब जैसा व्यक्तित्व और कहा प्रणव दादा वही कल से एक नाम और सामने आया है मैडम मीरा कुमार का मिडिया ने कल से ही उनके नाम को उछालना आरम्भ किया है क्योकि वो दलित वर्ग से आती है और दलित वोट के खिसके आधार को मजबूत करने के लिए कांग्रेस नेत्री सोनिया गाँधी उनके नाम पर भी विचार कर रही है हामिद अंसारी अभी पीछे छुट गए है
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