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गत दिनों असम में हुए हिंसा के विरोध में आज एक समुदाय विशेष के लोगो ने जिस प्रकार से मुंबई में दंगे फैलाये इसकी जितनी निंदा की जाये कम है कहा जा रहा है की समाचार चेनलो द्वारा असम और म्यामार में हुई हिंसा को इन चेनलो द्वारा नहीं दिखाया गया जिसकी वजह से यह उपद्रव फैलया गया जबकि शुक्रवार को भी झारखण्ड की राजधानी राची में भी इसी प्रकार की हिंसा और आतंक इस समुदाय द्वारा फैलाया गया और आज मुंबई में फिर वही दोहराया गया हो सकता है की कल किसी अन्य सहर में यह हिंसा फैले इस लिए हमें अभी से सावधान रहना चाहिए क्योकि पूर्व में भी ऐसा देखा गया है की इस समुदाय के द्वारा कही की बात को लेकर कही पर हिंसा की गई चाहे वो पैगम्बर साहब के कार्टून का विवाद हो या फिर अन्य स्थानों पर हुए दंगे / इस उपद्रव से यह बात भी साफ तौर पर जाहिर हो चुकी है की इन्हें सिर्फ हिंसा में विस्वास है
ना की भारतीय संविधान में क्योकि यदि इन्हें भारतीय संविधान पर विस्वाश होता तो असम की घटना के सी बी आई जाच के आदेश दिए जा चुके है और सी बी आई की टीम घटना के जाच हेतु पहुच भी चुकी है सभी जानते है की आसाम की घटना क्यों और कैसे घटी इसका विवरण यहाँ देना उचित नहीं समझता हु लेकिन जिस प्रकार से मुंबई और राची में हिंसा को अंजाम दिया गया वो सिर्फ और सिर्फ इस मुल्क को एक और बटवारे की राह पर ले जाता मुझे दिख रहा है यदि ऐसी घटनाओ पर अविलम्ब राजनितिक दृष्टिकोण और वोट बैंक की तरह से ना देखते हुए रोक नहीं लगाई जाती तो भविष्य में ऐसी घटनाओ की बाढ़ आ जाएगी जो की एक और बटवारे की और इस देश को ले जाएगी .इस लिए तुरंत ऐसे उपद्रव फ़ैलाने वाले लोगो को काल कोठरियों में भेज देना चाहिए ताकि ये दुबारा ऐसी हिम्मत ही ना करे यदि इन्हें म्यामार और असम की चिंता है तो शांति पूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करवाए ना की हिंसात्मक ढंग से क्योकि हिंसा का जबाब सिर्फ हिंसा ही हो सकता है शांति नहीं …..
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