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इन दिनों बिहार के विकास मॉडल की चर्चा पुरे देश में बड़े जोर शोर से चल रही है की कैसे बिहार जिसे जंगल प्रदेश समझा जाता था आज तेजी से विकास की राह में अग्रसर है चाहे वो कृषि के क्षेत्र में हो सकल घरेलू उत्पाद के क्षेत्र में हो या फिर शिक्षा या अपराध में अकुश लगाने के क्षेत्र में लेकिन हमने या मीडिया ने कभी इस चर्चा पर बहस छेड़ना उचित नहीं समझा की विकाश के साथ साथ बिहार में जिस ढंग से नितीश बाबु के राज में अफसर साही बढ़ी सायद ही ऐसी अफसर साही कभी भी किसी राज्य में पनपी होगी .हलाकि नितीश बाबु ने अथक प्रयाश किया की अफसरों की कार्य प्रणाली में सुधार आये लेकिन उन्हें इतनी छुट दे दी की आज बिहार के अफसर मतवाले हाथी की तरह बर्ताव करने लगे है .बिहार में दसको बाद पंचायत चुनाव हुए जन प्रतिनिधि चुने गए लेकिन अधिकारिओ के सामने इन जन प्रतिनिधिओ की हालत दुम हिलाने वाले पामेलियन कुत्ते की तरह है .विधायक तक को ये अधिकारी हिन् दृष्टि से देखते है हलाकि बिहार के विधायको की नितीश बाबु कितना सुनते है वो भी जगजाहिर है .सुचना का अधिकार कानून बिहार में अंतिम साशे ले रहा है .कुछ दिनों पूर्व प्रेस काउन्सिल के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू साहब का एक बयां आया था सायद आप को याद होगा की बिहार की मीडिया को नितीश बाबु ने गुलाम बना कर रखा है बड़ा हंगामा हुआ था लेकिन उनका बयान पूरी तरह सत्य था बिहार से प्रकाशित होने वाली प्रिंट मीडिया में छपी खबरों को आप पढ़े कही भी आप को समस्या मूलक ,सरकार विरोधी खबरे नहीं मिलेगी मिलेगी तो सिर्फ योजनो से सम्बंधित खबरे या अपराध से जुडी खबरे ये तो चर्चा हुई बिहार के विकास मॉडल की लेकिन लालू राबड़ी राज्य की जिस तानाशाही रवये से परेसान होकर आम बिहारी ने नितीश कुमार को सत्ता की कुर्शी तक पहुचाया वो भी ऐतिहशिक बहुमत के साथ आज वही बिहार की जनता त्राहिमाम कर रही है अधिकारिओ की घुस संस्कृति से जी हां आज बिहार में कोई काम करवाना हो बिना चढ़ावे के नहीं होगा चाहे बिजली का कनेक्सन लेना हो ,चाहे जन्म प्रमाण पत्र बनवाना हो या फिर मृत्यु प्रमाण पत्र या अन्य कोई काम चाहे किसी भी कार्यालय में चले जाये बिना चढ़ावा कोई काम नहीं होने वाला सत्ता समहालने की कुछ दिनों बाद ही नितीश जी ने घुस खोरो को पकड़ने के लिए जोर शोर से अभियान चलाया था और निगरानी का गठन तक किया गया जिससे जनता में उम्मीद जगी थी लेकिन जब यहाँ भी जिले के अधिकारिओ को ही टीम में सामिल किया गया अब आप ही बताये कोई अपने मातहत काम करने वाले को दबोचेगा जब उस तक भी हिस्सा पहुच रहा हो जैसे सय्या भये कोतवाल तो अब डर काहे का वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हो हलाकि प्रदेश निगरानी बिभाग ने कई स्थानों पर बढ़िया काम किया लेकिन जिला निगरानी बिभाग द्वारा किये गए कोई कार्य आज तक जमीन पर नहीं दीखता ऐसे में जहा घुस लेना जन्म सिद्ध अधिकार समझा जाता हो उस राज्य के विकाश की चर्चा पूरी तरह बेमानी ही साबित होगी
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