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आधुनिकता की अंधी दौड़ के दुष्परिणाम ?

RAJESH _ REPORTER
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२१ वि शादि आया २१ वि शादि आया हम खूब उत्साहित हुए जैसे ही हमने २१ वि शादि में प्रवेश किया खूब मौज मस्ती हुई दोस्तों के साथ पिकनिक स्पॉट पर गए कभी सोचा नहीं की इस २१ वि शादि के दुष्परिणाम भी हमें झेलने पड़ सकते है हम इतने आधुनिक हो गए की घर घर में अब कलर टी वी पहुच गया था हाथो में महंगे मोबाइल फ़ोन ले जब हम चलते तो अपने में ही गर्म जोशी महसूस करते की देखो अब तो कही भी रहेंगे किसी से भी बाते होगी यही नहीं अपने बच्चो को छोटे छोटे कपडे पहनने में भी हमें अब गर्व का अनुभव होने लगा था सलवार कुरते की जगह अब मिनी स्कार्ट और टॉप ने ले लिया लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ अभी कल की बात है 5 साल की श्रेया रिश्तेदार के बच्चे के जन्म दिन की पार्टी में गई वहा अपने हम उम्र लड़के से उसका सीधा सवाल क्या तुमने अपने स्कूल में कोई लड़की पटाई है लड़का सरमाते हुए अभी कोई ढंग की मिली नहीं क्या जबाब होगा महोदय आप तथाकथित आधुनिक विचार धारा के पोषित और संरक्षित लोगो का क्या में भी जान सकता हु यह तो एक मामला है ऐसे हजारो लाखो मामले हमारे आँखों के सामने घूम रहे है जहा बच्चे हमारे और आप की आधुनिक शैली अपनाने की वजह से समय से पहले बड़े हो रहे है .हम टी वी और ऑफिस के चक्कर में ऐसे उलझ चुके है की बच्चो पर समय नहीं दे पाते .कॉवेन्ट संस्कृति ने बच्चियो पर बुरा असर डालना आरम्भ कर दिया है पाच और सात क्लास की बच्ची गर्भ वती होने लगी है उन्हें पता नहीं चल पाता की वो क्या भूल कर रही है और उसका दुष्परिणाम माता पिता को झेलना पड़ता है निजी नर्सिंग होम के डोक्टर के मुताबिक बड़े सहरो के साथ साथ छोटे सहरो तक ऐसे अनगिनत मामले पहुच चुके है . कही ऐसा ना हो की अंधी आधुनिकता और स्वयं की मह्त्व्कंषा की वजह से हमारा सारा कुछ समय से पहले ही लूट जाये और हमारे सामने रोने के सिवा कुछ ना बचे ….सहमत है तो कमेंट जरुर करे …

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