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मुन्नी के जज्बे को सलाम ?

RAJESH _ REPORTER
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कहते है जो होता है अच्छा होता है जो होगा वो भी अच्छा होगा लेकिन मुन्नी के साथ जो हुआ उसे हम अच्छा नहीं कह सकते ? मुन्नी जैसे जिंदगी लाखो हजारो में एक ही को मिलती है जिसे आप तक पहुचाने की इच्छा मन में जागृत हुई ? मुन्नी का बचपन कब और कैसे बीता वहा तक आप को ले नहीं जाऊंगा लेकिन जैसे ही मुन्नी ने १६ वसंत पार किये उसके माता पिता ने उसका हाथ एक अच्छा लड़का देख कर पिला कर दिया मुन्नी राजी खुसी अपने ससुराल चली गई लेकिन वैवाहिक जीवन के अभी कुछ ही दिन बीते थे की मुन्नी के ऊपर गमो का पहाड़ टूट पड़ा और उसका पति स्वर्ग सिधार गया ससुराल में दूसरा कोई था नहीं की उसकी देख भाल करता उधर मायके में माता पिता भी चल बसे अब मुन्नी के आँखों के सामने अँधेरा ही अँधेरा था तभी पडोश में रहने वाले प्रकाश ने उसे सहारा देने का भरोषा दिया और उसे अपने साथ अपनी मौशी के घर ले आया लेकिन ये प्रकास की मौशी नहीं थी इसका खुलासा कई दिन बीत जाने के बाद हुआ जब प्रकास काम पर जाने की बात कह कर उसे छोड़ कर चला गया . अब मुन्नी के सामने एक नरकीय जीवन इंतजार कर रहा था और उसे मौसी ने मर्दों के सामने पडोसना आरम्भ कर दिया था किसी प्रकार से घुट घुट कर मुन्नी अपना जीवन काट रही थी तभी ग्राहक बन कर उसके पास संतोष नाम का युवक पहुचता है जिसके मन में मुन्नी के जीवन के प्रति जिज्ञाषा उठती है बहुत करोदने के बाद मुन्नी अपना सारा दुखड़ा संतोष को बताती है उसके बाद मुन्नी और संतोष हर दिन मिलने लगते है कुछ दिन बाद मुन्नी एक बार फिर संतोष के साथ व्य्वाहिक सुख भोगने लगती है अब मुन्नी को दो छोटे छोटे बाल गोपाल भी है लेकिन एक बार पुन्ह मुन्नी की जिंदगी में तूफान आता है और संतोष भी भयंकर बीमारी की चपेट में आ जाता है और अचानक ही उसकी मौत हो जाती है अब ना तो मुन्नी जवान है और ना ही उसके हजारो चाहने वाले और ऊपर से दो छोटे छोटे बच्चो का भविष्य ऐसे में मुन्नी क्या करे कहा जाये संतोष के परिवार वाले सभ्रांत है और उसे अपने पास रखने को राजी नहीं है इन सब के बावजूद मुन्नी ने हार नहीं माना है और किसी प्रकार जीवन जीने के लिए सफाई कर्मी का काम कर रही है उससे जो तनख्वाह मिलती है उससे अपना और अपने बच्चे का पालन पोषण करती है ? यकीन मानिये जब मुन्नी पर नजर पड़ती है तो मन में विचार आता है की भगवान इतना निर्दयी कैसे हो सकते है ?

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