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केंद्र और राज्य सरकारों की उठापटक का खामियाजा आज आम जनता को उठाना पड़ रहा है . भाजपा की सरकार है जिस राज्य में है वहा केंद्रीय योजनाओ के सञ्चालन में राज्य सरकार दिलचस्पी दिखाती है , लेकिन जहा दूसरे दलों की सरकार है वहा केंद्रीय योजनाये जमीन पर लागू ना हो ऐसा प्रयास राज्य सरकारों द्वारा किया जाना कतई उचित नहीं है उत्तर प्रदेश बिहार बंगाल सहित कई राज्यों में आज केंद्रीय योजनाये धूल फाकती नजर आ रही है और आम जनता को लाभ से वंचित रखने का प्रयास किया जा रहा है . बिहार में राष्ट्रीय स्वक्षता अभियान मृत प्राय है .जगह जगह गन्दगी का अंबार , खुले में शौच आम बात हो चुकी है जबकि अरबो रूपये की राशि का आवंटन किया गया है वही मनरेगा जैसी योजनाये भी दम तोड़ती नजर आ रही है . बिहार को २०१४-२०१५ वित्तीय वर्ष में १५४८ करोड़ रूपये दिए गए लेकिन जमीन पर कार्य कही दिखाई नहीं देता सारा रुपया बैंक में धूल फांक रहा है आखिर क्यों ? बिहार सरकार हो या उत्तर प्रदेश की सरकार या फिर बंगाल सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी गंभीर नहीं है , वोटबैंक की खातिर खुलेआम राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है ? सीमावर्ती जिलो के लिए चलाई जा रही योजनाओ पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसकी वजह से लोगो में केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है जबकि सच्चाई कुछ और ही बयान कर रही है . राज्य सरकाओ को दल से ऊपर उठ कर काम करने की आवश्यकता के साथ साथ केंद्रीय योजनाओ को जमीन पर लागु करने की जरुरत है ताकि आम जनता को इसका लाभ मिले ना की दलगत राजनीती में पड़ कर जनता को गुमराह करने की /
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